जागरण संवाददाता, गुड़गांव : कालेजों को रैगिंग मुक्त बनाए रखने के लिए इस बार सख्ती अधिक है। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने अपने वेबसाइट पर एडमिशन ब्राशर में साफ किया है कि रैगिंग क्या है और उसकी क्या सजा हो सकती है। इसके लिए कालेजों में दाखिले के समय विद्यार्थियों से रैगिंग न लेने का शपथ पत्र लिया जाएगा। कालेज के अलावा प्रशासन भी इस बात के लिए मुस्तैद हो गए हैं कि किसी भी विद्यार्थी को रैगिंग का शिकार न होना पड़े और विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिल सके। इसके लिए शहर के कालेजों में एंटी रैगिंग कमेटियां गठित की जाएंगी।
रैगिंग कमेटी में कम से कम पांच शिक्षकों के साथ साथ इस बार विद्यार्थियों को भी शामिल किया जाएगा जो इस टीम के सदस्य के तौर पर खुफिया तरीके से निगरानी रखेंगे और किसी भी घटना की जानकारी मिलते ही वे कालेज प्राचार्य को जानकारी देंगे।
कालेजों में रैगिंग की परिभाषा
आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, किसी को अपमानित करने वाली बात लिखना, कोई भी ऐसा काम जिससे किसी को परेशानी हो, किसी को चिढ़ाना, किसी के प्रति गुस्सा दिखाना, शरीरिक व मानसिक प्रताड़ना, अनुशासनहीन होकर अभद्र तरीके से जूनियर विद्यार्थियों से व्यवहार करना, मनोवैज्ञानिक तरीके से किसी को गलत करने के लिए प्रेरित करना, अपना खौफ दिखा कर काम कोई काम कराना, जूनियर्स से शर्मसार करने वाले काम करवाना आदि सभी चीजें रैगिंग के दायरे में आती हैं।
क्या है सजा
रैगिंग करने वाले को संस्थान से निकाला जा सकता है, संस्थान और क्लास से निलंबन, सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाने के साथ-साथ जुर्माना, स्कालरशिप व अन्य लाभ छिन सकते हैं, संस्थान में किसी भी प्रतियोगिता आदि में हिस्सा लेने पर रोक, परिणाम पर रोक, होस्टल से निलंबन, एफआईआर दर्ज करवाई जा सकती है तथा रैगिंग में शामिल किसी एक व्यक्ति की पहचान न हो पाने की स्थिति में सामूहिक रूप से दंडित भी किया जा सकता है। कालेजों में इस बात पर पूरा ध्यान दिया जाएगा कि दाखिले से लेकर शुरुआती कक्षाओं के दौरान ही विद्यार्थियों को रैगिंग के बारे में जागरुकता फैलाई जाए ताकि किसी भी विद्यार्थी को किसी घटना का शिकार न होना पड़े। इस बारे में रेलवे रोड स्थित द्रोणाचार्य कालेज के प्राचार्य डा. आरके यादव का कहना है कि रैगिंग पर कालेज हमेशा सख्त रुख अपनाता है और अब विवि ने भी इसपर अपना रुख कड़ा किया है तो रैगिंग की घटनाओं पर लगाम लग सकेगी।
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