उरई, जागरण संवाददाता : राजकीय मेडिकल कालेज के दूसरे सत्र में इस बार रैगिंग की रवायत को रोकना कालेज प्रशासन के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। कई बार सीनियर छात्र रैगिंग के नाम पर जूनियरों के साथ ऐसा अमानवीय बर्ताव कर देते हैं कि खुद को शर्मसार महसूस करते हुए जूनियर या पढ़ाई छोड़ देते या कई बार आत्मघाती कदम तक उठा लेते हैं। इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को गैरकानूनी और आपराधिक कृत्य करार दिया है। इस अपराध में जुर्माना से लेकर दो साल तक की कैद का प्राविधान है। राजकीय मेडिकल कालेज में रैगिंग पर पूरी तरह से अंकुश रहे इसको लेकर ठोस रणनीति बनायी गई है। बुधवार को इसको लेकर एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक हुई।
एंटी रैगिंग कमेटी की बैठक में निर्णय लिया गया कि जूनियर छात्रों के साथ सीनियर रैगिंग के नाम पर कोई अमानवीय व्यवहार करते हैं तो जूनियर की सुविधा के लिए एक हैल्पलाइन नंबर दिया जाए। जिससे जूनियर अपने साथ हुए बर्ताव की तत्काल सूचना दे सकें। इसके अलावा एंटी रैगिंग कमेटी के सदस्यों के नंबर एकेडमी, लाइब्रेरी, मैस, हास्टल आदि जगह पर डिस्पले किए जाए। कालेज के ई-मेल नंबर पर भी छात्र अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। मैस में जूनियर और सीनियर छात्रों के भोजन के लिए टाइमिंग अलग-अलग रहे। जूनियर छात्रों को भयमुक्त माहौल मिले, इसके लिए सीनियर छात्रों को रैगिंग कानून के बारे में जानकारी देकर उन्हें रैगिंग को लेकर आगाह किया जाए। किसी भी छात्र को रैगिंग के नाम पर सार्वजनिक तौर पर अपमानित करने, उससे शारीरिक, मानसिक कष्ट देने और उपहास करना अपराध की श्रेणी में आता है। सीनियर छात्रों को इस कानून के बारे में स्पष्ट जानकारी भी दे दी जाए। जानकारी होने के बावजूद कोई ये अपराध करता है तो कालेज से उसका पंजीयन निरस्त होगा ही। उसके विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। दौरान प्राचार्य डा. निर्मल चंद्र प्रजापति, सीएमएस मेजर डा. रणवीर सिंह, डा. पीसी पुरोहित, उप निरीक्षक मतीन खां समेत एंटी रैगिंग कमेटी के समस्त सदस्य मौजूद रहे।
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