रैगिंग रोकने के लिए एक ओर शिक्षण संस्थान लकीर पीटते हैं वहीं दूसरी ओर
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और सख्त हो रहा है. अभिभावकों से भी अब
शपथ-पत्र लिया जाएगा कि उनका बेटा या बेटी रैगिंग नहीं करेंगे. घर पर भी
प्रेरित किया जाएगा कि रैगिंग से दूर ही रहना है. रैगिंग करने पर छात्र का
एडमिशन कैंसिल कर दिया जाएगा, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी.यूजीसी
ने आगामी शैक्षिक सत्र के पहले रैगिंग के प्रति अपनी गंभीरता को स्पष्ट कर
दिया है. इसके लिए पहले से बने रेगुलेशन्स में अमेंडमेंट भी कर दिया है.
अब उच्च शैक्षिक संस्थानों में रैगिंग के जोखिम के निराकरण (द्वितीय
संशोधन) विनियम 2013 प्रभावी कर दिया गया है. इसमें छात्रों से तो शपथ पत्र
लिया ही जाएगा कि रैगिंग से दूर रहना है साथ ही अभिभावकों से भी शपथ-पत्र
लिया जाएगा कि उनका बेटा-बेटी रैगिंग नहीं करेंगे.
अभी तक रैगिंग होने पर अभिभावक ही अपने बच्चों के पक्ष में खड़े हो जाते थे और कार्रवाई का विरोध करने लगते थे. उधर, विवि व कॉलेजों में पहले से ही रैगिंग रोकने के प्रति जागरुकता हेतु कदम उठाए जा रहे हैं. होर्डिंग, पोस्टर व अभियानों के जरिए रैगिंग पर लगाम लगाने की कोशिश की जाती है.
अभिभावक संस्थान को बताएंगे कि वह रैगिंग के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. यह भी भरोसा दिलाएं कि उनकी संतान किसी तरह के कृत्य में शामिल नहीं होगी. यदि संलिप्तता होती है तो एडमिशन कैंसिल कर दिया जाएगा. यदि पहले भी संतान पर रैगिंग के आरोप में कार्रवाई हो चुकी है तो भी एडमिशन कैंसिल माना जाएगा. कुल मिलाकर इसे यूजीसी का एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है. अभिभावक भी अब रैगिंग की घटना के प्रति जिम्मेदार होंगे, इससे छात्रों पर दबाव बढ़ेगा.
ऐसा होगा शपथ पत्र:
रैगिंग के जोखिम पर नियंत्रण लगाने से संबंधित विनियम को ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है. इस बात की जानकारी है कि रैगिंग में क्या बात शामिल हैं. रैगिंग में किसी भी तरह से बेटे-बेटी की संलिप्तता में उसके विरुद्ध कार्रवाई स्वीकार होगी. हमारी संतान किसी ऐसे व्यवहार या कृत्य में शामिल नहीं होगी, जिसे नियमों की धारा तीन के अंतर्गत रैगिंग माना गया है.
अभी तक रैगिंग होने पर अभिभावक ही अपने बच्चों के पक्ष में खड़े हो जाते थे और कार्रवाई का विरोध करने लगते थे. उधर, विवि व कॉलेजों में पहले से ही रैगिंग रोकने के प्रति जागरुकता हेतु कदम उठाए जा रहे हैं. होर्डिंग, पोस्टर व अभियानों के जरिए रैगिंग पर लगाम लगाने की कोशिश की जाती है.
अभिभावक संस्थान को बताएंगे कि वह रैगिंग के बारे में पूरी जानकारी रखते हैं. यह भी भरोसा दिलाएं कि उनकी संतान किसी तरह के कृत्य में शामिल नहीं होगी. यदि संलिप्तता होती है तो एडमिशन कैंसिल कर दिया जाएगा. यदि पहले भी संतान पर रैगिंग के आरोप में कार्रवाई हो चुकी है तो भी एडमिशन कैंसिल माना जाएगा. कुल मिलाकर इसे यूजीसी का एक सराहनीय कदम कहा जा सकता है. अभिभावक भी अब रैगिंग की घटना के प्रति जिम्मेदार होंगे, इससे छात्रों पर दबाव बढ़ेगा.
ऐसा होगा शपथ पत्र:
रैगिंग के जोखिम पर नियंत्रण लगाने से संबंधित विनियम को ध्यानपूर्वक पढ़ लिया है. इस बात की जानकारी है कि रैगिंग में क्या बात शामिल हैं. रैगिंग में किसी भी तरह से बेटे-बेटी की संलिप्तता में उसके विरुद्ध कार्रवाई स्वीकार होगी. हमारी संतान किसी ऐसे व्यवहार या कृत्य में शामिल नहीं होगी, जिसे नियमों की धारा तीन के अंतर्गत रैगिंग माना गया है.
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