Saturday, May 31, 2014

एडमिशन में चुस्ती पर रैगिंग को लेकर फिर वही सुस्ती Published: Sat, 31 May 2014 02:55 AM (IST) | Updated: Sat, 31 May 2014 02:55 AM (IST)

गजेंद्र विश्वकर्मा.इंदौर
उच्च शिक्षा विभाग ने इस बार एडमिशन तो समय पर शुरू कर दिए हैं, लेकि न रैगिंग रोकने के लिए कोई गाइडलाइंस जारी नहीं की है। इन दिनों कई स्टूडेंट्स कॉलेजों की स्थिति और प्रक्रिया समझने के लिए कैम्पस पहुंचने लगे हैं। ऐसे में यदि क ोई घटना हो जाती है तो जिम्मेदार क ौन होगा? पिछली बार भी आधा जुलाई निक लने तक जागरूकता के पोस्टर भी नहीं लगे थे। ये तब है जबकि पिछले सालों में रैगिंग की कई घटनाएं हुई हैं। क्या इस बार भी उच्च शिक्षा विभाग यूनिवर्सिटी या कॉलेज कैम्पस में रैगिंग की कि सी घटना क ा इंतजार क र रहा है? जुलाई से फिर नया सेशन शुरू हो जाएगा और इसी के साथ शुरू हो जाएंगी रैगिंग की तमाम आशंकाएं। ऐसे में फिलहाल चल रही एडमिशन की प्रक्रिया के साथ ही रैगिंग रोकने की तैयारी भी अभी से होनी चाहिए। मगर हकीकत ये है कि अब तक यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में एंटी रैगिंग कमेटियों क ो एक्टिव नहीं कि या गया है, जबकि कॉलेजों में नए स्टूडेंट्स की आवाजाही शुरू हो गई है।
उलझे रहते हैं एडमिशन में ही
जिले के 220 क ॉलेजों क ो संचालित करने वाली देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी अपनी ही व्यवस्था को संभाल नहीं पा रही है। जब तक किसी यूनिवर्सिटी में रैगिंग रोक ने के प्रयास नहीं होंगे, कॉलेजों क ो कैसे जागरूक कि या जा सकेगा? इस बार सीईटी समय पर हो गई है और कुछ ही दिनों में काउंसिलिंग भी शुरू हो जाएगी। ज्यादातर अधिकारी इसमें व्यस्त रहेंगे। ऐसे में जुलाई के पहले रैगिंग रोकने के इंतजाम होना मुश्किल ही है। नए स्टूडेंट्स क ो समझाने या निगरानी रखने के लिए कोई नहीं है।
कॉलेज सुनते ही नहीं है
यूजीसी और स्टेट रैगिंग कमेटी की गाइडलाइंस के अनुसार हर कॉलेज को हर महीने रैगिंग संबंधी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी या उच्च शिक्षा विभाग को भेजना अनिवार्य है। इस मामले में शहर के करीब 20 कॉलेज ही हैं, जो गंभीर हैं। नियमानुसार सेशन शुरू होने के पहले क ॉलेजों या यूनिवर्सिटी अधिकारियों के बीच रैगिंग रोकने के उपायों क ो लेक र मीटिंग होनी चाहिए, लेकिन यह भी नहीं हो रही।
कामचलाऊ है पूरी प्रक्रिया
पिछले सालों के मामले देखें तो यूनिवर्सिटी और शहर के कॉलेज रैगिंग को लेक र अवेयरनेस एक्टिविटीज नहीं कर पाते। बस ओरिएंटेशन प्रोग्राम में रैगिंग नहीं लेने और इसके परिणाम बताकर जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। मगर असल कहानी तो इसके बाद शुरू होती है। यूजीसी और स्टेट कमेटी के नियमों में साफ लिखा है कि कमेटी मेम्बर क ो उन सारी जगहों पर ध्यान रखना है, जहां रैगिंग की संभावना बनी रहती है। इसमें चाय-पान की दुकानें तक शामिल हैं, लेकिन क ोई भी इसे गंभीरता से नहीं लेता।
छुपा लेते हैं रैगिंग के मामले
राज्य सरकार के नियमों के अनुसार सभी कॉलेज और यूनिवर्सिटी क ो उच्च शिक्षा विभाग को रैगिंग के मामलों और उन्हें रोक ने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी भेजना अनिवार्य है। हालांकि आमतौर पर ये संस्थान रैगिंग की घटना हो जाने की पुष्टि ही नहीं करते। प्रयासों की भी सतही या झूठी जानकारी भेजी जाती है। क्रॉसचेक करने के लिए विभाग के पास भी कोई सिस्टम नहीं है। एंटी रैगिंग कमेटियों के रिक ॉर्ड में तो एक भी ऐसा मामला रजिस्टर्ड नहीं, जिसमें ऑन स्पॉट रैगिंग रोक गई हो।
इन मामलों को भुला दिया गया
- 2012 में सेशन की शुरु आत के साथ ही यूनिवर्सिटी कैम्पस और होस्टल्स में स्टूडेंट्स आने लगे थे। इस बीच स्कू ल ऑफ क ॉमर्स के सीनियर स्टूडेंट्स ने इंडियन कॉफी हाउस के पास जूनियर्स की रैगिंग ले ली। शिकायत एंटी रैगिंग क मेटी तक गई तो उन्होंने इसे रैगिंग मानने से ही इंक ार कर दिया।
- यूनिवर्सिटी के आईआईपीएस में भी स्टूडेंट्स ने दो बार रैगिंग की शिकायत की। मगर इन मामलों में दोनों पक्षों क ा समझौता कर चलता कर दिया गया था।
- आईएमएस के होस्टल के एक स्टूडेंट के साथियों ने पिटाई कर दी थी। इसे यूनिवर्सिटी ने रैगिंग मानने से ही इंक ार क र दिया था।
ऐसे-ऐसे मामले
- डेली क ॉलेज के बोर्डिंग में जूनियर-सीनियर के बीच मारपीट हो गई थी।
- गवर्नमेंट आर्ट्स एंड कॉमर्स क ॉलेज के मदनमोहन मालवीय होस्टल में एक स्टूडेंट ने की सुसाइड। वार्डन पर भी प्रताड़ना क ा आरोप लगा था।
- आईआईपीएस में एक छात्र के साथ सीनियर द्वारा मारपीट क ा मामला आया था, लेकि न एंटी रैगिंग क मेटी ने क ोई ठोस एक्शन नहीं लिया।
- जगदीशचंद्र बसु होस्टल में रैगिंग हुई। इसमें जूनियर छात्र विकल्प नागले की पिटाई क र दी गई।
- एसजीएसआईटीएस में चंदे के नाम पर सीनियर्स स्टूडेंट्स ने जूनियर्स की पिटाई क र दी थी। मामला पुलिस थाने तक गया था।
- इंदौर इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ में रैगिंग मामले ने खूब तूल पकड़ा, पर कॉलेज रैगिंग मानने से इंक ार करता रहा।
- एमजीएम मेडिक ल क ॉलेज में सीनियर्स ने जूनियर को पीटा। माता-पिता ने माफी मांगी।
एडमिशन प्रक्रिया के बीच ही रैगिंग को लेकर यूनिवर्सिटी, कॉलेजों की मीटिंग लेंगे। नए सत्र के पहले ही इस बार सभी कॉलेजों को एंटी रैगिंग कमेटी बनाने के लिए कहेंगे।
-डॉ.नरेंद्र धाकड़, एडिशनल डायरेक्टर, उच्च शिक्षा विभाग
कुछ ही दिनों में कॉलेजों को जुलाई के पहले रैगिंग रोकने के सारे उपायों को बेहतर करने के लिए कहेंगे। जुलाई के पहले सभी प्रिंसिपल की मीटिंग लेंगे और जिम्मेदारी तय करेंगे।
-आर. डी. मूसलगांवकर, रजिस्ट्रार, डीएवीवी

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