Monday, May 12, 2014

हॉस्टलों में रैगिंग रोकने नहीं इंतजाम !

जबलपुर। घर से दूर हॉस्टल में रहने वाले स्टूडेंट्स की सेफ्टी नजरअंदाज हो रही हैं। रैगिंग के सख्त कानून के बावजूद अफसर रोकथाम के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं। हॉस्टल के भीतर तो रैगिंग की घटनाओं को रोकने के लिए कोई इंतजाम तक नहीं हैं। ये एक दो जगह नहीं लगभग हर जगह एक जैसे हालात हैं। जिला प्रशासन भी स्टूडेंट्स के संवेदनशील मामले पर बेपरवाह है।
शिकायत पेटी गायब
रैगिंग की शिकायत के लिए हर हॉस्टल में शिकायत पेटी होनी चाहिए। ताकि विद्यार्थी गोपनीय रूप से शिकायत बाक्स में डाल दे। किसी भी सरकारी और निजी हॉस्टल में ये व्यवस्था नहीं है। जहां है, वहां पेटी से शिकायत प्रबंधन तक पहुंचने से पहले ही निकालकर गायब कर दी जाती है।
नंबर भी नहीं मालूम
हॉस्टल में वार्डन, पुलिस और प्रबंधन के आपातकालीन नंबर सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शित होने चाहिए। ताकि स्टूडेंट परेशानी के वक्त उसका इस्तेमाल कर सके।
कैमरे क्यों नहीं
हॉस्टल के भीतर स्टूडेंट्स की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए यूजीसी ने निर्देश दिए। इसके बावजूद किसी भी हॉस्टल में ये व्यवस्था नहीं की गई। फायर अलार्म की तरह आपात अलार्म भी लगाने के लिए यूजीसी ने कहा हुआ है।
समीक्षा तक नहीं
उच्च शिक्षा विभाग ने रैंगिग की रोकथाम के लिए प्राध्यापकों की कमेटी बनाकर समय-समय पर समीक्षा बैठक करने के निर्देश दिए हैं। पूरा सत्र बीत जाता है कोई समीक्षा बैठक नहीं होती है। रैगिंग की रोकथाम के लिए कागजों में कमेटी बन जाती है। कई संस्थानों में जो सदस्य कमेटी में शामिल होते है उन सदस्यों तक को नहीं मालूम होता है कि उनका नाम कमेटी में दर्ज है। क्योंकि किसी भी संस्थान में रैगिंग की रोकथाम के लिए बनी कमेटी का ब्यौरा ही प्रदर्शित नहीं किया जाता है। विश्वविद्यालय और कॉलेजों में यह स्थिति साफ देखी जा सकती हैं।
ये करके जिम्मेदारी खत्म
- एडमिशन के वक्त स्टूडेंट को साफ हिदायत दी जाती है। रैंगिग की रोकथाम के नियम-कायदे बता दिए जाते हैं।
- पहले महीने संस्थान में मुख्य द्वार पर शिक्षक खड़े होते हैं।
- संस्थानों में मैत्री दिवस के रूप में सीनियर-जूनियर के बीच मेलजोल करवाते हैं।
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ये बिल्कुल नहीं होता
- संस्था में रैंगिग से जुड़े नियमों और अंजाम की जानकारी नहीं देते।
- यूजीसी के वीडियो को शुरूआत में छात्रों को नहीं दिखाया जाता।
- एंटी रैंगिग से जुड़े हेल्पलाइन नंबर और शिकायत प्रकोष्ठ की सूचना नहीं देते।
- रैंगिग को लेकर जागरूकता अभियान में स्वयंसेवी संगठनों को नहीं शामिल करते।
-पुलिस प्रशासन भी इस काम में कोई पहल नहीं करता है।
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विवि ने सभी कॉलेजों को रैंगिग पर जीरो टोलरेंस नीति अपनाने के लिए निर्देशित किया गया है। विवि के हॉस्टलों में जागरूकता से जुड़े होर्डिग्स लगाए गए थे लेकिन वो किसी ने गायब कर दिए। हम जल्द ही प्रचार के लिए व्यवस्था करेंगे।
प्रो.सुरेन्द्र सिंह, अधिष्ठाता,छात्र कल्याण रादुविवि
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रैंगिग पर करें फोन
- 1800-180-5522
आपात स्थिति में 0-9871170303, 0-9818400116
मेल करें- ़इ ैहर्कञचसचहर्सपीसीहार्.य

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