Friday, June 20, 2014

रैगिंग के खिलाफ किया जाएगा जागरूक Publish Date:Friday,Jun 20,2014 07:28:34 PM

जागरण संवाददाता, गुड़गांव : रैगिंग के मायने बहुत विस्तृत हैं। अगर किसी विद्यार्थी या शरारती तत्व को लगता है कि केवल शारीरिक प्रताड़ना ही रैगिंग में आती है तो उसकी सोच गलत है। रैगिंग एक गलत सोच का नतीजा है जो कि अक्सर विद्यार्थी नए विद्यार्थियों को परेशान करने के लिए रखते हैं व चोरी छुपे रैगिंग करना चाहते हैं। ऐसे में रैगिंग के विषय में विस्तृत जानकारी देने तथा विद्यार्थियों में जागरूकता फैलाने के लिए कालेजों में विशेष कक्षाएं भी लगाई जानी है, जिसमें विद्यार्थियों को रैगिंग के प्रकार तथा उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के तरीके बताए जाएंगे। सेक्टर 14 स्थित कालेज के प्राचार्य डा.ऊषा मलिक का कहना है कि रैगिंग दूषित दिमाग की उपज होती है। ऐसे विद्यार्थियों को सबक सिखाने के लिए अन्य विद्यार्थियों को जागरूक किया जाएगा, ताकि वे अपने अधिकारों के बारे में जान सकें तथा अपनी सुरक्षा के लिए आवाज उठा सकें।
आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग, किसी को अपमानित करने वाली बात लिखना, कोई भी ऐसा काम जिससे किसी को परेशानी हो, किसी को टीज करना, किसी के प्रति गुस्सा दिखाना, शरीरिक व मानसिक प्रताड़ना, अनुशासनहीन होकर अभद्र तरीके से जूनियर विद्यार्थियों से व्यवहार करना, मनोवैज्ञानिक तरीके से किसी को गलत करने के लिए प्रेरित करना, अपना खौफ दिखा कर कोई काम कराना, जूनियर्स से शर्मसार करने वाले काम करवाना आदि सभी चीजें रैगिंग के दायरे में आती हैं।
रैगिंग करने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई का प्रावधान भी है। रेलवे रोड स्थित द्रोणाचार्य कालेज के प्राचार्य डा.आरके यादव ने कहा कि रैगिंग करने वाले को संस्थान से निकाला जा सकता है, संस्थान और क्लास से निलंबन, सार्वजनिक रूप से माफी मंगवाने के साथ-साथ जुर्माना, स्कालरशिप व अन्य लाभ छिन सकते हैं। संस्थान में किसी भी प्रतियोगिता आदि में हिस्सा लेने पर रोक, परिणाम पर रोक, हास्टल से निलंबन, एफआईआर तक दर्ज करवाई जा सकती है तथा रैगिंग में शामिल किसी एक व्यक्ति की पहचान न हो पाने की स्थिति में सामूहिक रूप से दंडित भी किया जा सकता है। कालेजों में इस बात पर पूरा ध्यान दिया जा रहा है कि पहली कक्षा के दौरान से ही विद्यार्थियों को रैगिंग के बारे में जागरूकता फैलाई जाए, ताकि किसी भी विद्यार्थी को किसी घटना का शिकार न होना पड़े।

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