Friday, June 20, 2014

रैगिंग: अब अभिभावकों को भी देना पड़ेगा बच्चे के व्यवहार का शपथ पत्र Publish Date:Saturday,Jun 14,2014 06:51:03 PM | Updated Date:Saturday,Jun 14,2014 06:51:31 PM

जागरण संवाददाता, आगरा। अक्सर छात्र या छात्रा पर रैगिंग का आरोप लगता है तो अभिभावक एक ही बात कहते हैं कि उनका बेटा या बेटी ऐसा नहीं कर सकते। जरूर दोस्तों ने उसे फंसाया होगा। कॉलेज प्रशासन पर भी उत्पीड़न का आरोप लगाते हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने एंटी रैगिंग की गाइड लाइन में बदलाव कर दिया है। अब दाखिले के साथ ही परिजनों से शपथ पत्र ले लिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने रैगिंग को संज्ञेय अपराध मानते हुए कॉलेज प्रशासन को सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद भी यूपी के कॉलेजों में रैगिंग की घटनाओं पर पाबंदी नहीं लगी। पिछले साल प्रदेश में 111 रैगिंग के मामले सामने आए थे, जिनमें जांच के बाद कार्रवाई की गई। पहले यूजीसी के आदेश पर प्रवेश के समय छात्र-छात्राओं से रैगिंग से दूर रहने का शपथ पत्र भरवाया जाता था।
अब यूजीसी की नई गाइड लाइन के मुताबिक, इस साल से अभिभावकों को बच्चे के व्यवहार का शपथ पत्र देना होगा। अपने बच्चे के व्यवहार की गारंटी लेनी होगी। साथ ही, उसे रैगिंग के खतरनाक दुष्परिणाम के बारे में भी अच्छी तरीके से समझाना होगा। पैरेंट्स को शपथ पत्र में यह भी लिखना होगा कि अगर बेटा या फिर बेटी रैगिंग में संलिप्त पाया जाता है तो उसे कॉलेज से निष्कासित कर दिया जाए या सख्त कार्रवाई की जाए।
सीसीटीवी कैमरे पर जोर:
यूजीसी ने संस्थानों व हॉस्पिटल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर भी जोर दिया है, जिससे नवागत छात्र-छात्राओं पर नजर रखी जा सके।
ये हैं प्रदेश में रैगिंग के मामले:
वर्ष 2013 : 111
वर्ष 2012 : 85
वर्ष 2011 : 120
इन्होंने कहा:
इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों में रैगिंग रोकने के पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। 24 घंटे की हेल्पलाइन सेवा चलाने के लिए कहा गया है। साथ ही, यूजीसी की गाइड लाइन के पालन पर जोर दिया गया है।
प्रो. आरके खंडाल, कुलपति उत्तर प्रदेश टेक्नीकल विश्वविद्यालय
ये है गाइड लाइन:
नए छात्र-छात्राओं को अलग हॉस्टल में रखा जाए। कॉलेज परिसर में अलग कैंटीन हो। जहां सिर्फ नवागत स्टूडेंट्स ही प्रवेश करेंगे। कक्षा ग्राउंड फ्लोर में चलेगी। अगर किसी वजह से ग्राउंड फ्लोर में नहीं चलती है, तो प्रथम तल पर कक्षाएं चलेंगी। द्वितीय या फिर तृतीय तल पर कक्षाएं चलने पर संबंधित कॉलेज प्रशासन को दोषी मानते हुए कार्रवाई की जाएगी। प्रत्येक भवन का निर्माण बिल्डिंग बायलॉज के हिसाब से होना जरूरी है।
पढ़ें: मेडिकल कालेज में रैगिंग, गाली-गलौज

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