Thursday, June 12, 2014

रैगिंग पर संजीदा नहीं हुए महाविद्यालय Publish Date:Tuesday,Jun 10,2014 01:01:12 AM | Updated Date:Tuesday,Jun 10,2014 01:01:42 AM

जागरण संवाददाता, बरेली : रैगिंग को लेकर यूजीसी ने भले ही कड़े निर्देश जारी किए हो लेकिन महाविद्यालयों में आते-आते इनकी हवा निकल जाती है। यह नियम केवल कागजों से बाहर नहीं आ पाते। रैगिंग के खात्मे के लिए चाहें प्रचार प्रसार की बात हो या फिर सभी महाविद्यालयों में एमरजेंसी कॉल यूनिट की।
नया सेशन से जुलाई से शुरू हो जाएगा, लेकिन महाविद्यालय हरकत में नहीं आए जबकि रैगिंग की रोकथाम के लिए प्रचार प्रसार, सीसीटीवी कैमरा, एंटी रैगिंग वेबसाइट और हेल्पलाइन कई महाविद्यालयों ने नहीं जारी की हैं। निर्देश जारी हुए थे कि कॉलेज के संवेदनशील स्थानों को चिहिन्त कर वहां सीसीटीवी कैमरा लगवाए जाएं लेकिन हकीकत में यह निर्देश महाविद्यालयों की दहलीज तक नहीं पहुंच सके। बरेली कॉलेज की बात करें तो यहां प्राचार्य ऑफिस के अलावा कहीं सीसीटीवी कैमरा नजर नहीं आएंगे। छापेमारी के लिए गठित होनी वाली सेल भी कागजों पर सिमट कर रह गई। इसके अलावा एमरजेंसी कॉल यूनिट एवं क्विक रिस्पांस के लिए एक सेल बनना था, यह भी अधिकतर महाविद्यालयों में नजर नहीं आता। वहीं कागजों पर सारे नियम पूरे चल रहे हैं।
जागरूकता के लिए वीडियो का लिया जाएगा सहारा
विश्वविद्यालय और महाविद्यालयों की वेबसाइट पर ऐसे वीडियो नजर आएंगे जो छात्रों को रैगिंग के खिलाफ जागरूक करेंगे। यह वीडियो वेबसाइट के एंटी रैगिंग के लिंक पर डाले जाएंगे। रैगिंग के प्रति जागरूक करने के साथ यह वीडियो प्रेरित भी करेंगे कि औरों को कैसे जागरूक किया जाए। रुहेलखंड विश्वविद्यालय इसकी कवायद में लग गया है। नए सेशन से विवि की वेबसाइट पर कई ऐसे वीडियो नजर आएंगे।

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