Wednesday, October 22, 2014

PREVIOUSNEXT महिला शिक्षा को बढ़ावा के लिए हो रहा प्रयास : डा.सरोज Publish Date:Sun, 06 Jul 2014 05:48 PM


सप्ताह का साक्षात्कार
सोनीपत शिक्षा हब के रूप में पहचान बना चुका है। बावजूद ग्रामीण परिवेश की लड़कियों को अभी तक उच्च शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है। समाज उत्थान के लिए महिला शिक्षा को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए गांव मुरथल में राजकीय महिला महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। स्थापना के बाद से महिला कालेज की काफी तरक्की हुई है। छात्राओं की संख्या में भी तीन गुना तक वृद्धि हुई है। कालेज तक अधिक से अधिक छात्राओं के पहुंचने को लेकर क्या प्रयास किए जा रहे हैं? साथ ही महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए क्या-क्या प्रयास किए जा रहे हैं? इन्हीं सब मुद्दों को लेकर राजकीय महिला महाविद्यालय मुरथल की प्राचार्य डा.सरोज अहलावत से दैनिक जागरण संवादाता रविंद्र कौशिक ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :
-महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कालेज की तरफ से क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
वर्तमान में महिला शिक्षा सबसे आवश्यक हो गई है। शिक्षित महिला ही समाज के उत्थान में अपना पूर्ण योगदान दे सकती है। महिलाओं को इसके लिए स्वयं आगे आना चाहिए। कालेज की तरफ से भी छात्राओं को शिक्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाता है। गांवों में रैलियां निकालकर महिला शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाता है। आसपास के गांवों में जाकर सरपंचों को अधिक से अधिक छात्राओं को कालेजों में भेजने के लिए प्रेरित किया जाता है। छुट्टियों में प्राध्यापकों की ड्यूटी लगाई जाती है कि वे गांवों में जाकर लोगों को उनकी लाडलियों को शिक्षित करने के लिए प्रेरित करें।
सामाजिक स्तर पर महिला शिक्षा को बढ़ाने के लिए क्या करने की आवश्यकता है?
सामाजिक स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए विशेष पहल किए जाने की आवश्यकता है। गांव के सरपंच व प्रबुद्ध लोगों को अपने स्तर पर आगे आकर महिला शिक्षा की पहल करनी चाहिए। मैं मानती हूं कि घर से थोड़ा-सा प्रोत्साहन मिलने से लड़कियां स्वयं ही शिक्षा के लिए आगे आ जाती हैं। बस उन्हें घर से सहयोग मिलने की आवश्यकता है।
कालेज में छात्राओं की सुरक्षा के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं?
ग्रामीण परिवेश में लड़कियों की सुरक्षा को अधिक तव्वजो दी जाती है। कई परिवार तो सुरक्षा का बहाना बनाकर ही छात्राओं को उच्च शिक्षा से वंचित कर देते हैं। इसी को देखते हुए कालेज में सुरक्षा को लेकर कड़े प्रबंध किए गए हैं। कालेज में सीसीटीवी लगवाया गया है। इतना ही नहीं कालेज का गेट सुबह बंद होने के बाद छुट्टी होने पर ही खोला जाता है। गेट पर चौकीदार की व्यवस्था की गई है। किसी भी आगंतुक की गेट पर ही इंट्री की जाती है।
कालेज में मोबाइल को लेकर क्या दिशा-निर्देश है?
कालेज में मोबाइल पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। कालेज के अंदर मोबाइल की घंटी बजने पर छात्रा का मोबाइल जब्त कर लिया जाता है, जिसे छात्रा के अभिभावकों के आने के बाद ही वापस दिया जाता है। इसके पीछे मकसद है कि छात्रा मोबाइल के बजाय शिक्षा पर ध्यान दें। कालेज के बाहर छात्रा मोबाइल का प्रयोग कर सकती हैं। इसके लिए कालेज में नोटिस तक चस्पा दिया गया है।
कालेज में किस कोर्स की तरफ छात्राओं का रुझान बढ़ा है?
कालेज में बीएससी व बीए इतिहास आनर्स के कोर्स शुरू किए गए हैं जिनकी तरफ छात्राओं का काफी रुझान है। मैं स्वयं छात्राओं को हिस्ट्री आनर्स कोर्स करने के लिए प्रेरित करती हूं। यह कोर्स उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर करने के लिए तैयार करता है।
कालेज में पहुंचने के लिए यातायात के क्या प्रबंध हैं?
कालेज में छात्राओं के लिए रोडवेज की एक बस लगाई गई है। हालांकि छात्राओं की संख्या को देखते हुए वह नाकाफी है। यह बस सेवा वर्ष 2006 में तत्कालीन रोडवेज महाप्रबंधक कुलदीप अहलावत ने शुरू की थी। उस समय दो बसें शुरू की गई थी। बाद में एक को बंद कर दिया गया। छात्राओं की सहूलियत के लिए दो बसों का प्रबंध किया जाना चाहिए।
रैगिंग को रोकने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
कालेज में रैगिंग का कोई मामला अभी तक सामने नहीं आया है। सभी छात्राएं काफी मिलजुल कर रहती हैं। ग्रामीण परिवेश होने के कारण छात्राओं में अपनत्व की भावना है। कालेज में भी छात्राओं को संस्कार दिए जाते हैं। जिससे वह रैगिंग की तरफ ध्यान नहीं देती। उसके बावजूद एहतियातन कालेज में रैगिंग रोकने के लिए हर संभव कदम उठाए जाते हैं।
परिचय
नाम : डा.सरोज अहलावत
जन्म तिथि : 16 मार्च, 1960
पिता का नाम : रणधीर सिंह, वह सेना से सेवानिवृत्त हैं।
शिक्षा : डा. सरोज अहलावत ने वर्ष 1982 में संस्कृत में एमए की शिक्षा ग्रहण की। वर्ष 1984 में उन्होंने एमफिल व 1995 में पीएचडी की। वर्ष 1984 में वह संस्कृत टीचर असिस्टेंट बनी। उसके चार वर्ष बाद उन्होंने राजकीय कालेज भिवानी में अक्टूबर 1988 में प्राध्यापक पद पर ज्वाइन की। वह वर्ष 2006 में राजकीय कालेज मुरथल में प्राध्यापक पद पर नियुक्ति हुई। जून 2013 से वह इस कालेज में प्राचार्य की जिम्मेदारी निभा रही हैं। वर्ष 1981 में उनकी शादी कुलदीप सिंह अहलावत से हुई। वह रोडवेज महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

No comments:

Post a Comment